राजस्थानी भजन

थे तो धरनी पधारया गंगा माय त्रिवेणी थाने अरज करा

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थे तो धरनी पधारया गंगा माय,

दोहा – गंगा जमुना सरस्वती,
भागीरथ रे भाव,
मृत्यु लोक में गंगा लायो,
तपने एकर पाँव।

थे तो धरनी पधारया गंगा माय,
त्रिवेणी थाने अरज करा,
ओ थेतो धरनी पधार्या गंगा माँ,
त्रिवेणी थाने अरज करा,
ओ गंगाजी थाने अरज करा,
ओ गंगाजी थाने अरज करा।।



अरे भागीरथ जनमीया दलीप रे रे,

सगर कुल रे माय,
भागीरथ जलमीयो दलीप रे रे,
सगर कुल रे माय,
गंगा लावन जप कियो रे,
घोर तपस्या रे माय,
त्रिवेणी थाने अरज करा,
ए गंगा लावन जप कियो रे,
घोर तपस्या रे माय,
त्रिवेणी थाने अरज करा,
ओ थेतो धरनी पधार्या गंगा माय,
त्रिवेणी थाने अरज करा।।



गंगा राजी हुई भगत पर,

दर्शन दिना आय,
गंगा राजी हुई भगत पर,
दर्शन दिना आय,
अरे मारे वेग ने कुण रोकेला,
जावु रसाकल रे माय,
त्रिवेणी थाने अरज करा,
अरे मारे वेग ने कुण रोकेला,
जावु रसाकल रे माय,
त्रिवेणी थाने अरज करा,
ओ थेतो धरनी पधार्या गंगा माय,
त्रिवेणी थाने अरज करा।।



भागीरथ शिवजी री करी तपस्या,

राली जटा रे माय,
भागीरथ शिवजी री करी तपस्या,
राली जटा रे माय,
धारा छूटी पंथ बुवारियो,
गंगा ने सागर में ले जाय,
त्रिवेणी थाने अरज करा,
धारा छूटी पंथ बुवारियो,
गंगा ने सागर में ले जाय,
त्रिवेणी थाने अरज करा,
ओ थेतो धरनी पधार्या गंगा माय,
त्रिवेणी थाने अरज करा।।



गंगा कयो हरिद्वार सु,

कुम्भ कलश ले जाय,
गंगा कयो हरिद्वार सु,
कुम्भ कलश ले जाय,
डांगडी रात मोक्ष करावे,
जल सु पवित्र होय जाय,
त्रिवेणी थाने अरज करा,
अरे डांगडी रात मोक्ष करावे,
जल सु पवित्र होय जाय,
त्रिवेणी थाने अरज करा,
ओ थेतो धरनी पधार्या गंगा माय,
त्रिवेणी थाने अरज करा।।



माली छवर कहे गंगा भेजीया,

पित्रा ने स्वर्गा माय,
माली छवर कहे गंगा भेजीया,
पित्रा ने स्वर्गा माय,
आय गंगा सु रात जगावो,
आवागमन मिट जाय,
त्रिवेणी थाने अरज करा,
अरे आय गंगाजी सु रात जगावो,
आवागमन मिट जाय,
त्रिवेणी थाने अरज करा,
ओ थेतो धरनी पधार्या गंगा माय,
त्रिवेणी थाने अरज करा।।



थे तो धरनी पधारया गंगा माय,

त्रिवेणी थाने अरज करा,
ओ थेतो धरनी पधार्या गंगा माँ,
त्रिवेणी थाने अरज करा,
ओ गंगाजी थाने अरज करा,
ओ गंगाजी थाने अरज करा।।

गायक – प्रकाश माली जी & कुशल बारठ।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818


Shekhar Mourya

Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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