सुंधागढ़ री मावड़ी,
भवोनी मात,
भेरूजी है आगलवोण,
चार खूंट में थपिया थोन,
अखंड जुगङा में,
ज्योतो जागती मां।।
नव नौरता थापिया भवोनी मां,
ध्यान धरूं ऊगतणे भोण,
भगती रो देवो वरदोन,
अखंड जुगङा में,
ज्योतो जागती मां।।
दिवला लखलख जागिया देवी रे थोन,
दर्शन दिजो बालक जोण,
थोने है भगतों री ओंण,
अखंड जुगङा में,
ज्योतो जागती मां।।
ऊंचों मंदिर ऊजलो भवोनी मां,
मंदिरिए रो आडो खोल,
भगतों रे मां मुंडे बोल,
अखंड जुगङा में,
ज्योतो जागती मां।।
आस लेने आवियो भवोनी मां,
मनङा वाली आस पुराय,
जोगाराम थारी महिमा सुणाय,
अखंड जुगङा में,
ज्योतो जागती मां।।
सुंधागढ़ री मावड़ी,
भवोनी मात,
भेरूजी है आगलवोण,
चार खूंट में थपिया थोन,
अखंड जुगङा में,
ज्योतो जागती मां।।
गायक / लेखक – जोगाराम प्रजापति।
हाथीतला बाङमेर।
9587984999