सुन रे सांवरा मंडफिया वाला,
काली गाड़ी लानी है,
घणा गरीबा ने सेठ बनाया,
अबकी बारी मारी है,
गढ़ मंडफिया में बैठो सांवरो,
लाखा रो भोपारी है,
लाखु जाके आवे जातरी,
आवे वारी वारी है।।
सब सेठ तो डुप्लीकेट है,
वो ही सेठ मारो मोटो है,
देवे ज्याने वो ही देवे,
कुनी देवन वालो है,
सुन रे साँवरा मंडफिया वाला,
काली गाड़ी लानी है।।
मंडफिया नगरी धाम सोवनी,
घनी रूपाली लागे है,
जिमे बैठो सेठ सांवरों,
मूरत प्यारी लागे है,
सुन रे साँवरा मंडफिया वाला,
काली गाड़ी लानी है।।
सोना चांदी आवे घनेरा,
नोट भर भर आवे है,
सोना री जटे इटा चढावे,
सोना रा भेापारी है,
सुन रे साँवरा मंडफिया वाला,
काली गाड़ी लानी है।।
मंडफिया धाम घणी सुहानी,
भगता के मन भावे है,
जटे बैठो सेठ सांवरो,
मुरत प्यारी लागे है,
सुन रे साँवरा मंडफिया वाला,
काली गाड़ी लानी है।।
कोई दिन म्हारे आज्यो सांवरा,
गेला में झोपड़ी मारी है,
थारे मोटा महल बन्योडा,
टूटी झोपड़ी मारी है,
सुन रे साँवरा मंडपिया वाला,
काली गाड़ी लानी है।।
‘पूरण लाल’ भजना में वो गावे,
गांव सुखामंड वालो है,
सुनज्यो सांवरा मंडफिया वाला.
मारी फाइल पे मोहर लगानी है,
गढ़ मंडफिया में बैठो सांवरो,
लाखा रो भोपारी है।।
सुन रे सांवरा मंडफिया वाला,
काली गाड़ी लानी है,
घणा गरीबा ने सेठ बनाया,
अबकी बारी मारी है,
गढ़ मंडफिया में बैठो सांवरो,
लाखा रो भोपारी है,
लाखु जाके आवे जातरी,
आवे वारी वारी है।।
लेखक / गायक – पुरण जी गुर्जर।








Jai ho
nice
Naresh
जिसने ये भजन बनाया हे उसकी छाप होनी चाहिए ये भजन पुरण जी गुर्जर ने लिखा ये उनका नाम होना चाहिए
जी महोदय, लेखक का नाम ‘पुरण जी गुर्जर’ लिख दिया गया है और जो इस भजन में आपत्तिजनक लाइन थी उसे भी थोड़ा चेंज कर दिया है।
IT IS VERY AWESOME BHAJAN 😍
I LIKE IT ❤️🩹🫶🏻
Very nice
Sawariya seth ke bhajan
Bohut he badiya Bhajan hai
Bahut Achcha Laga