शिव पार्वती के लल्ला को,
प्रणाम करें।
श्लोक – वक्रतुण्ड महाकाय,
सूर्य कोटी समप्रभा,
निर्विघ्नं कुरु मे देव,
सर्व-कार्येषु सर्वदा।
हर इक शुभ कारज से पहले,
ये काम करें,
शिव पार्वती के लल्ला को,
प्रणाम करें,
तेरी जय हो गणेश,
तेरी जय हो गणेश।।
एकदंत दयावंत चार भुजाधारी,
मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी,
तन मन धन सिद्धिविनायक जी के,
नाम करें,
शिवपार्वती के लल्ला को,
प्रणाम करें।।
दुखियों के दुखड़े ये पल में मिटाते है,
शुभ लाभ करते है भाग्य बनाते है,
निर्मल चित होकर सुमिरन,
सुबहो शाम करें,
शिवपार्वती के लल्ला को,
प्रणाम करें।।
शिव जी ने ब्रह्मा विष्णु ने मनाया है,
‘साहिल’ सभी ने मुँह माँगा वर पाया है,
इनके चरणों में हासिल,
चारों धाम करें,
शिवपार्वती के लल्ला को,
प्रणाम करें।।
हर इक शुभ कारज से पहले,
ये काम करें,
शिवपार्वती के लल्ला को,
प्रणाम करें,
तेरी जय हो गणेश,
तेरी जय हो गणेश।।
स्वर – निधि साहिल।
गीतकार – प्रदीप जी साहिल।