साधों भाई हरदम हरि को हेरो देसी भजन लिरिक्स

साधों भाई हरदम हरि को हेरो देसी भजन लिरिक्स
राजस्थानी भजन

साधों भाई हरदम हरि को हेरो,
हरदम हेर देर मत कीजे,
मिटे चौरासी रो फेरो।।



सर्व जगत जुगत नहीं जाणे,

पच पच मरे गेवारो,
मेरी तेरी में सब जग अलुज्या,
भूल रयो संसारों।।



जप तप कर्म करे बहु भांति,

काया कष्ट अपारो,
पत्थर मूर्ति जाय मनावे,
जीव को नहीं सुधारों।।



अड़सठ तीर्थ परस कर आवे,

मन में कर अंधकारों,
हाथा पोथी सब ही गुमाई,
मिल्यो न सिरजण हारो।।



रोम रोम में ईश्वर व्यापक,

मूर्ख मानत न्यारो,
न्यारो मान के फिरे चौरासी,
कट्यो न कर्म को ज़ारो।।



सतगुरु बिना भरम नहीं भागे,

चारो वेद पुकारो,
तन मन धन सब अर्पण करके,
वचन गुरु को धारो।।



सत्संगत सतगुरु से करले,

कटे कर्मो को भारो,
तेरो स्वरूप तुझ माही दरशे,
केवल ब्रह्म सुखारो।।



सत चित आनंद अचल अखंडी,

ऊँच नीच इक सारो,
उत्तमराम भ्रम मति भागे,
अरस परस दीदारो।।



साधों भाई हरदम हरि को हेरो,

हरदम हेर देर मत कीजे,
मिटे चौरासी रो फेरो।।

प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052


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