मेरे सतगुरु दीनदयाल काग से हंस बनाते भजन लिरिक्स

मेरे सतगुरु दीनदयाल, काग से हंस बनाते।। भरा जहां भक्ति का भंडार, लग्या जहाँ सतगुरु का दरबार, शब्द अनमोल सुनाते ...

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