मुझको तो विश्वास यही,
ना होगी मेरी हार,
हरपल मुझ पर नज़र रखे है,
बाबा लखदातार,
वही मेरी नाव चलाए,
वही मुझे पार लगाए।।
तर्ज – स्वर्ग से सुन्दर सपनों।
मै जो चल रहा हूँ ये,
उसके कदम है,
चलती है सांस ये भी,
उसका करम है,
मेरे तन के हर हिस्से पर,
उसका है अधिकार,
हरपल मुझ पर नज़र रखे है,
बाबा लखदातार,
वही मेरी नाव चलाए,
वही मुझे पार लगाए।।
करुँ क्यो फिकर मै अपनी,
वो ही संभाले,
पेट जो दिया है वो ही,
देगा निवाले,
मुझको भी पालेगा वो तो,
पाल रहा संसार,
हरपल मुझ पर नज़र रखे है,
बाबा लखदातार,
वही मेरी नाव चलाए,
वही मुझे पार लगाए।।
श्याम भरोसा ही है,
मेरी कमाई,
बिना श्याम के ना कुछ भी,
देता दिखाई,
‘पंकज’ इन चरणो मे रहकर,
हो जाऊं भव से पार,
हरपल मुझ पर नज़र रखे है,
बाबा लखदातार,
वही मेरी नाव चलाए,
वही मुझे पार लगाए।।
मुझको तो विश्वास यही,
ना होगी मेरी हार,
हरपल मुझ पर नज़र रखे है,
बाबा लखदातार,
वही मेरी नाव चलाए,
वही मुझे पार लगाए।।
– लेखक गायक व प्रेषक –
ज्ञान पंकज 9810257542
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