मुझे है काम ईश्वर से,
जगत रूठे तो रूठन दे।।
कुटुम्ब परिवार सुत दारा,
माल धन लाज लोकन की,
हरि के भजन करने से,
अगर छूटे तो छूटन दे,
मुझे है काम ईंश्वर से,
जगत रूठे तो रूठन दे।।
बैठ संगत में संतन की,
करूँ कल्याण मैं अपना,
लोग दुनिया के भोगों में,
मौज लूटे तो लूटन दे,
मुझे है काम ईंश्वर से,
जगत रूठे तो रूठन दे।।
प्रभु का ध्यान धरने की,
लगी दिल में लगन मेरे,
प्रीत संसार-विषयों से,
अगर टूटे तो टूटन दे,
मुझे है काम ईंश्वर से,
जगत रूठे तो रूठन दे।।
धरी सिर पाप की मटकी,
मेरे गुरुदेव ने पटकी,
वो ‘ब्रह्मानंद’ ने पटकी,
अगर फूटे तो फूटन दे,
मुझे है काम ईंश्वर से,
जगत रूठे तो रूठन दे।।
मुझे है काम ईश्वर से,
जगत रूठे तो रूठन दे।।
स्वर – सुरेश अवस्थी जी।
प्रेषक – प्रकाश पालीवाल
8619450278








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