मुँह फेर जिधर देखूं,
मुझे तू ही नजर आए।
दोहा – तेरे दर पे तो आना मेरा काम है,
मेरी बिगड़ी बनाना तेरा काम है,
ये आँखे मुन्तजिर तेरे नाम की,
रुख से पर्दा हटाना तेरा काम है।
मुँह फेर जिधर देखूं,
मुझे तू ही नजर आए,
बाबा छोड़ के दर तेरा,
कोई और किधर जाए।।
गेरो ने तो ठुकराया,
अपने भी बदल गए है,
हम साथ चले जिनके,
वो दूर निकल गए है,
बाबा तेरे रहम पर हूँ,
बाबा तेरे रहम पर हूँ,
तू बक्श या ठुकराए,
मुझे तू ही नजर आए।।
माना की मैं पापी हूँ,
मुझे खबर गुनाहो की,
बस इतनी सजा देना,
मुझे मेरी खताओं की,
तेरे दर पे हो सर मेरा,
तेरे दर पे हो सर मेरा,
और जान निकल जाए,
मुझे तू ही नजर आए।।
हम खाक नशीनो की,
क्या खूब तमन्ना है,
तेरे नाम पे जीना है,
तेरे नाम पे मरना है,
मरना तो है वो तेरी,
मरना तो है वो तेरी,
चोखट पे जो मर जाए,
मुझे तू ही नजर आए।।
सूरज ओर चंदा का,
क्या खूब उजाला है,
मस्तक में अग्नि की,
प्रचंड जवाला है,
तेरे दर पे हो सर मेरा,
तेरे दर पे हो सर मेरा,
और सांस निकल जाए,
मुझे तू ही नजर आए।।
मुँह फेर जिधर देखूं,
मुझे तू ही नजर आए,
बाबा छोड़ के दर तेरा,
कोई और किधर जाए।।
– प्रेषक एवं गायक –
विजय राव जी,
संपर्क +919929849534
Bahut sundar 👌🏻👌🏻👌🏻