मेरे कदम अब ना रुके,
मैं तो चला,
मेरे दादा के दरबार,
हाथों में लेके,
गुलाब चला रे,
मोहन खेड़ा गुरूवर के,
धाम चला रे।।
तर्ज – पालकी में होके।
याद गुरूवर की आने लगी है,
गुरु मिलन की आस जगी है,
लगता नही कहीं मेरा मन,
पागल मन ये मेरा मन,
तन मन अपना गुरुवर पे,
वार चला रे,
मोहनखेड़ा गुरूवर के,
धाम चला रे।।
छोड़ू न दामन जब तक है सांसे,
“दिलबर” ये जीवन दादा के भरोसे,
लागी है मुझको ऐसी लगन,
ऐसी लगन हा ऐसी लगन,
‘युवान’ लेके,
परिवार चला रे,
मोहनखेड़ा गुरूवर के,
धाम चला रे।।
मेरे कदम अब ना रुके,
मैं तो चला,
मेरे दादा के दरबार,
हाथों में लेके,
गुलाब चला रे,
मोहन खेड़ा गुरूवर के,
धाम चला रे।।
गायक – युवान पीपाड़ा (जैन)
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365
प्रेषक – देवेश पीपाड़ा इंदौर।