मोड़ो घणो आयो रे सांवलिया थे मारी लाज गवाई रे

मोड़ो घणो आयो रे सांवलिया थे मारी लाज गवाई रे
राजस्थानी भजन

मोड़ो घणो आयो रे सांवलिया,
थे मारी लाज गवाई रे,
लाज गवाई रे,
सोवला लाज गवाई,
थे मोङो आयो रे कोनुङा,
थी मारी लाज गवाई रे।।



सगा वाला रे महल मालिया,

खीङकी नयारी रे,
नरसी भक्त रे टुटे झुपङे,
वसमी बारी रे,
मोङो घणो आयो रे सांवलिया,
थे मारी लाज गवाई रे।।



और जना रे हिरक पथरणा,

कांबल नयारी रे,
नरसी भक्त रो फाटी गोदङी,
वसमी कारी रे,
मोङो घणो आयो रे सांवलिया,
थे मारी लाज गवाई रे।।



सगा वाला रे लाडु घेवर,

चुरमा नयारा रे,
नरसी भक्त रे खाटी राबङी,
वो भी बासी रे,
मोङो घणो आयो रे सांवलिया,
थे मारी लाज गवाई रे।।



नरसी भक्त री अर्ज विनती,

सोभल सुनजो रे,
नैनु बाई रो मायरो पुरीयो,
चावल पुरे हो,
मोङो घणो आयो रे सांवलिया,
थे मारी लाज गवाई रे।।



मोड़ो घणो आयो रे सांवलिया,

थे मारी लाज गवाई रे,
लाज गवाई रे,
सोवला लाज गवाई,
थे मोङो आयो रे कोनुङा,
थी मारी लाज गवाई रे।।

गायक – सांवरमल सैनी।
प्रेषक – देव पुरोहित नाथोणी जेरण।


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