मिलके बैठो तो कुछ बताएंगे,
तुमसे भी क्या भला छुपाएंगे।।
खुल के रोने लगोगे सब खोकर,
खुल के रोने लगोगे सब खोकर,
हाल अपना जो हम बताएंगे,
मिलके बैठों तो कुछ बताएँगे,
तुमसे भी क्या भला छुपाएंगे।।
कौन है जो यहां सदा रहे ले,
कौन है जो यहां सदा रहे ले,
एक न एक दिन यहाँ से जाएंगे,
मिलके बैठों तो कुछ बताएँगे,
तुमसे भी क्या भला छुपाएंगे।।
गैरों ने गम दिए तो क्या ‘अंकुश’,
गैरों ने गम दिए तो क्या ‘अंकुश’,
मेरे अपने भी जब सताएंगे,
मिलके बैठों तो कुछ बताएँगे,
तुमसे भी क्या भला छुपाएंगे।।
मिलके बैठो तो कुछ बताएंगे,
तुमसे भी क्या भला छुपाएंगे।।
स्वर – श्री अंकुश जी महाराज।
प्रेषक – ओमप्रकाश पांचाल उज्जैन मध्य प्रदेश।
9926652202