सुनो कर गया वो,
मुंगानो सुनो कर वो,
म्हारा सतगुरु सिर का मोड,
मुँगानो सुनो कर गया वो।।
संवत 1996 माही,
जन्म आपने पाया,
गुरु बिहारी शरण में जाकर,
चेतन नाम धराया,
चेतन चैत चेतावे चेतन,
नाम अमर कर गया वो,
मारा सतगुरु सिर का मोड,
मुँगानो सुनो कर गया वो।।
गांव गांव और ढाणी ढाणी,
मंदिर आप बनाया,
1800 मंदिर की गणना,
अखियां देखि भाया,
तरण तीर्ण मारा सतगुरु दाता,
भव सु पार कर गया वो
मारा सतगुरु सिर का मोड,
मुँगानो सुनो कर गया वो।।
गुरु गोविंद का एक ही ठाणा,
धन-धन गांव मुंगाना,
चेतन जी के बस गया हृदय,
मन मोहन मुरली वाला,
स्वामी जी के सपने जाकर,
आनंद कर गया वो
मारा सतगुरु सिर का मोड,
मुँगानो सुनो कर गया वो।।
चारों कुंभ में महिमा आपकी,
मीरा मेवाड़ पूजाया,
एक ही रात में दो दो रूप,
अद्भुत खेल रचाया,
नुगरा नर तो जान सक्या नहीं,
सुगरा तर गया वो
मारा सतगुरु सिर का मोड,
मुँगानो सुनो कर गया वो।।
गावे है दिनेश छापरी,
चेतन चरण राख,
2082 सी नवमी,
भांडूली साकेत वास,
गुरु चरण में रामपाल जी,
अनुज दास जी तर गया हो,
मारा सतगुरु सिर का मोड,
मुँगानो सुनो कर गया वो।।
सुनो कर गया वो,
मुंगानो सुनो कर वो,
म्हारा सतगुरु सिर का मोड,
मुँगानो सुनो कर गया वो।।
गायक – कथा वाचक दिनेश वैष्णव जी।
छापरी राजसमंद।
99282 53130