मेरे श्याम से नाता है,
तो क्यों घबराता है,
श्याम कहो घनश्याम कहो,
अच्छा लगता है,
जीवन में हरि नाम ही,
एक सच्चा लगता है,
मेरे श्याम से नाता हैं,
तो क्यों घबराता है।।
तर्ज – क्या खूब लगती हो।
तू आजा श्याम के द्वारे,
हां द्वारे,
मेरे श्याम तुझे,
देंगे एक दिन सहारे,
श्याम कहो घनश्याम कहो,
अच्छा लगता है,
जीवन में हरि नाम ही,
एक सच्चा लगता है।।
कान्हा से प्रीत लगा ले,
तू लगा ले,
इस जीवन के,
सोए भाग्य जगा ले,
श्याम कहो घनश्याम कहो,
अच्छा लगता है,
जीवन में हरि नाम ही,
एक सच्चा लगता है,
मेरे श्याम से नाता हैं,
तो क्यों घबराता है।।
मेरे श्याम से नाता है,
तो क्यों घबराता है,
श्याम कहो घनश्याम कहो,
अच्छा लगता है,
जीवन में हरि नाम ही,
एक सच्चा लगता है,
मेरे श्याम से नाता हैं,
तो क्यों घबराता है।।
गायक / प्रेषक – मिलन श्रीवास।
9300212385
https://youtu.be/V7vH2thp0hE
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