द्वापर में कृष्ण कन्हैया ने,
क्या अदभुत खेल रचाया था,
ले बर्बरीक से शीष दान,
कलयुग का देव बनाया था,
तीन बाण कांधे पे साजे,
मेरे श्याम सजीले पे,
मेनू खाटू वाला जचदा ऐ,
जचदा ऐ घोड़े लीले पे।bd।
तर्ज – तेनु काला चश्मा।
खाटू में दरबार लगाकर,
बैठा बाबा श्याम है,
लाखों करोड़ों भक्तों की,
मेरा श्याम धनी पहचान है,
हर कोई करता प्रेम बहुत,
मेरे सोणे श्याम हठीले से,
मेनु खाटु वाला जचदा ऐ,
जचदा ऐ घोड़े लीले पे।bd।
भक्तों की सच्ची अर्जी पे,
ये बिगड़े काम बना देता,
हर आए सच्चे प्रेमी को,
जीवन की हर खुशियां देता,
एक बार जो करे भरोसा,
मेरे श्याम छबीले पे,
मेनु खाटु वाला जचदा ऐ,
जचदा ऐ घोड़े लीले पे।bd।
कार्तिक में होती धूम यहां,
फागुन में मेला भरता है,
‘रोमी’ इस श्याम सलोने के,
हर ग्यारस दर्शन करता है,
हर कोई नाचे झूम झूम,
मेरे श्याम के भजन रसीले पे,
मेनु खाटु वाला जचदा ऐ,
जचदा ऐ घोड़े लीले पे।bd।
द्वापर में कृष्ण कन्हैया ने,
क्या अदभुत खेल रचाया था,
ले बर्बरीक से शीष दान,
कलयुग का देव बनाया था,
तीन बाण कांधे पे साजे,
मेरे श्याम सजीले पे,
मेनू खाटू वाला जचदा ऐ,
जचदा ऐ घोड़े लीले पे।bd।
स्वर / रचना – सरदार रोमी जी।
Jai shree shyam