आप मन में मेरे,
आके रहने लगो,
मन मेरा वृन्दावन,
ही तो बन जाएगा।bd।
मैं रहूं ना रहूं,
वृंदावन में प्रभु,
वृंदावन मेरे हृदय में,
पल पल रहे,
आपकी याद मन में,
समाई रहे,
प्रेम के अश्क़ आंखों से,
हरदम बहे,
ना मिले कारवा,
छोड़ दे ये जहां,
अब तो चरणों में तेरे,
जीवन जाएगा,
आप मन में मेरे,
आके रहने लगो,
मन मेरा वृंदावन,
ही तो बन जाएगा।bd।
आपकी टेढ़ी चितवन को,
निरखा करूं,
पद कमल आपके,
रोज चूमा करूं,
मैं जहां भी रहूं,
तेरा सुमिरन करूं,
भाव से ब्रज की,
गलियों में घूमा करूं,
सुन लो तारनतरन,
रख लो अपनी शरण,
मेरा जीवन मरण,
सब सुधर जाएगा,
आप मन में मेरे,
आके रहने लगो,
मन मेरा वृंदावन,
ही तो बन जाएगा।bd।
ना रहे दूरियां,
हाय मजबूरिया,
है कृपानाथ मन में,
समा जाइए,
आज सीने से अपने,
लगा लीजिए,
आप आ जाइए,
कुछ तरस खाइए,
है उदासी बड़ी,
‘हरिदासी’ तेरी,
आप आएंगे तूफा ये,
थम जाएगा,
आप मन में मेरे,
आके रहने लगो,
मन मेरा वृंदावन,
ही तो बन जाएगा।bd।
आप मन में मेरे,
आके रहने लगो,
मन मेरा वृन्दावन,
ही तो बन जाएगा।bd।
स्वर – बृजरस अनुरागी पूनम दीदी।
लेखन – श्री हरिदासी जी।