मैं तो गुण थारा गाऊं रे,
बजरंग बाला।
दोहा – लाल देह लाली लसे,
अरू धर लाल लंगूर,
बजर देह दानव दलन,
जय जय कपि सूर।
पवन तनय संकट हरण,
मंगल मूर्ति रुप,
राम लखन सीता सहित,
हृदय बसो सुर भूप।
मैं तो गुण थारा गाऊं रे,
बजरंग बाला,
बजरंग बाला जपूं थारी माला,
चरणा में शीश निवाऊं रे,
बजरंग बाला।।
शिव शंकर के तुम अवतारी,
पवन पुत्र अंजनी महतारी,
राम भक्त निराला रे,
बजरंग बाला।।
पैर पदम भुजा पहाड़ बिराजे,
माथे मुकुट सौवणो साजे,
गल मोतियन की माला रे,
बजरंग बाला।।
लखन जति की जान बचाई,
मात सिया की खोज लगाई,
राम दूत मतवाला रे,
बजरंग बाला।।
यासिन मीर बाबा थारा गुण गावे,
नीत उठ चरणा में शीश झुकावे,
गांव बरमसर बाला रे,
बजरंग बाला।।
गायक – समुन्द्र चेलासरी।
मो. – 8107115329
लेखक – यासिन मीर बरमसर।
प्रेषक – मनीष कुमार लौट।








