क्या लगता हूँ बाबा तेरा,
इतना प्यार लुटाता है,
जब भी कोई आएं मुसीबत,
दौडा दौड़ा आता है,
क्या लगता हूं बाबा तेरा।।
तर्ज – नगरी नगरी द्वारे द्वारे।
रिश्ता कुछ तो होगा तुमसे,
आज बताओ गिरधारी,
दिल की तुम कैसे पढ़ लेते,
राज बताओ धनूधारी,
जितना तुमने मुझे निभाया,
उतना कौन निभाता है,
क्या लगता हूं बाबा तेरा,
इतना प्यार लुटाता है।।
उँगली मेरी थाम रखी है,
नहीं भटकने देता है,
किरपा की नदिया बहती है,
नहीं तरसने देता है,
मोती में बदले आँसू को,
इतना लाड लडाता है,
क्या लगता हूं बाबा तेरा,
इतना प्यार लुटाता है।।
लफ़्ज़ नहीं है ऐसे बाबा,
तेरा मैं गुणगान करूँ,
तेरी नज़रो में पलता हूँ,
भूलू ना अभिमान करूँ,
“जीतू” क़र्ज़ चुकाये कैसे,
“पंछी” को बतलाता है,
क्या लगता हूं बाबा तेरा,
इतना प्यार लुटाता है।।
क्या लगता हूँ बाबा तेरा,
इतना प्यार लुटाता है,
जब भी कोई आएं मुसीबत,
दौडा दौड़ा आता है,
क्या लगता हूं बाबा तेरा।।
Singer – Jayant Sarda (Kathmandu)
Lyrics – Jayant Sarda (जीतू) & Mohit Kanoi (पंछी)