कंवर तुम बाशक अवतारी,
दोहा – कलयुग माही देवता,
श्री कवर जी महाराज,
विष मिटाय अमृत करे,
सकल सुधारे काज।
कंवर तुम बाशक अवतारी,
तेरी लीला जग से न्यारी।।
किसी ने भेद नही पाया,
करें तूं कार्ज मनचाया-२,
ऋषि मुनि जाप जपे तेरा,
देवो मे देव निराकारी,
कँवर तुम बाशक अवतारी,
तेरी लीला जग से न्यारी।।
तेरा असल रुप वोही जाने,
जो मन कर्म वचन सूं माने-२,
पुर्बली सांजत हो जिसकी,
जो आवे शरणागत थारी,
कँवर तुम बाशक अवतारी,
तेरी लीला जग से न्यारी।।
अजब अनोखी तेरी माया,
चमत्कार तूने दिखलाया-२,
भरोसा भगतों को भारी,
कँवर तुम सन्तन हितकारी,
कँवर तुम बाशक अवतारी,
तेरी लीला जग से न्यारी।।
पवन प्रभू तूं पराक्रमी,
मै मुर्ख षठ अधर्मी-२,
बलवन्त कर्मों का मारा,
भक्ति कंवर देव की धारी,
कँवर तुम बाशक अवतारी,
तेरी लीला जग से न्यारी।।
कंवर तुम बासक अवतारी,
तेरी लीला जग से न्यारी।।
गायक – समुन्द्र चेलासरी।
लेखक – बलवन्त राम लौट चेलासरी।
प्रेषक – मनीष कुमार लौट।
मो – 8107115329








