कन्हैया रुलाते हो,
जी भर रुलाना,
मगर आंसुओ में,
नजर तुम ही आना।।
तर्ज – तुम्ही मेरे मंदिर।
तुम्हारे है ये चाँद,
तारे हँसाओ,
तुम्हारे है ये जग के,
नज़ारे हँसाओ,
दशा पर मेरी सारे,
जग को हँसाना,
मगर उस हंसी में,
नजर तुम ही आना।।
ये रो रो के कहते है,
तुमसे पुजारी,
क्यों फरियाद सुनते,
नहीं तुम हमारी,
दया के समंदर हो,
दया अब दिखाना,
मगर उस दया में,
नजर तुम ही आना।।
हो कितनी ही विपदा,
ना विश्वास टूटे,
लगन श्याम चरणों की,
मन से ना छूटे,
भले ही अनेको,
पड़े जनम पाना,
मगर हर जनम में,
नजर तुम ही आना।।
कन्हैया रुलाते हो,
जी भर रुलाना,
मगर आंसुओ में,
नजर तुम ही आना।।
https://youtu.be/WyxAykTx4C8








