जय जय हो प्यारे नंदलाल की,
पद – शिव को धन संतन को सर्वस्व,
महिमा वेद पुराणन गाई।
इन्द्र को इन्द्र देव देवन को,
ब्रम्ह को ब्रम्ह अधिक अधिकाई।
काल को काल ईश ईशन को,
अति अतीक तोल्यो नहीं जाई।
नन्ददास को जीवन गिरधर,
गोकुल गाँव को कुंवर कन्हाई।
जय जय हो प्यारे नंदलाल की,
जय बोलो गोपाल की,
बोलो गोपाल की,
जय बोलो गोपाल की,
जय हो यशोदा जी के लाल की,
जय बोलो गोपाल की।bd।
जय मंजुल कुंज निकुंजन की,
रस पुंज विचित्र समाज की जै जै,
यमुना तट की वंशीवट की,
गिरजेश्वर की गिरिराज की जै जै,
ब्रज गोपिन गोप कुमारन की,
विपीनेश्वर के सुख साज की जै जै,
ब्रज के सब सन्तन भक्तन की,
ब्रज मंडल की ब्रजराज की जै जै,
जय हो यशोदा जी के लाल की,
जय बोलो गोपाल की।bd।
कजरारी तेरी आँखिन में,
क्या भरा हुआ कुछ टोना है,
तेरा तो हसन औरों का मरण,
बस जान हाथ से धोना है,
क्या खूबी हुस्न बयान करूँ,
ये सुंदर श्याम सलोना है,
श्री ललित किशोरी को प्राण धन,
ये ब्रज का एक खिलौना है,
जय हो यशोदा जी के लाल की,
जय बोलो गोपाल की।bd।
तिरछा है किरीट कसा उर में,
तिरछा बनमाल पड़ा रहता है,
तिरछी कटिकाछनी है जिसमें,
सुख सिंधु सदा उमड़ा रहता है,
तिरछे ही कदम्ब के वृक्ष तले,
तिरछा दृगतान खड़ा रहता है,
किस भांति निकाले कहो दिल से,
तिरछा घनश्याम अड़ा रहता है,
जय हो यशोदा जी के लाल की,
जय बोलो गोपाल की।bd।
जय जय हो प्यारे नंदलाल की,
जय बोलो गोपाल की,
बोलो गोपाल की,
जय बोलो गोपाल की,
जय हो यशोदा जी के लाल की,
जय बोलो गोपाल की।bd।
Singer – Chitra Vichitra Ji Maharaj