गुरूजी बिना सुतो ने कुण जगावे भजन लिरिक्स

गुरूजी बिना सुतो ने कुण जगावे भजन लिरिक्स
राजस्थानी भजन

गुरूजी बिना सुतो ने कुण जगावे,

मनखो जन्म मल्यो मुश्किल से,
अरे फेर हाथ नही आवे,
आयोड़ो अवसर भूल मती मूर्खा,
आयोड़ो अवसर भूल मती मूर्खा,
ऐ फेर चौरासी मे जावे,
गुरूजी बिना सुता ने कुण जगावे,
असंख जुगो रो भूलो मारो जीवड़ो,
असंख जुगो रो भूलो मारे हंसलो,
फिर फिर गोता खावे,
गुरूजी बिना सुता ने कुण जगावे।।



लख चौरासी मे घट घणेरा,

महाकष्ट दुख पावे,
कूकर्म करे विधि नही सुजे,
कूकर्म करे विधि नही सूजे,
मार जमो ने वाली खावे,
गुरूजी बिना सुता ने कुण जगावे,
असंख जुगो रो भूलो मारो जीवड़ो,
असंख जुगो रो भूलो मारे हंसलो,
फिर फिर गोता खावे,
गुरूजी बिना सुता ने कुण जगावे।।



मकड़ी मुख से तार निकाले,

उसका जाल बनावे,
आप ही जाय जाल मे बेठे,
उलझ उलझ मर जावे,
गुरूजी बिना सुता ने कुण जगावे,
असंख जुगो रो भूलो मारो जीवड़ो,
असंख जुगो रो भूलो मारे हंसलो,
फिर फिर गोता खावे,
गुरूजी बिना सुता ने कुण जगावे।।



शंकरनाथ मिल्या गुरू पूरा,

भिन भिन कह समझावे,
रूपाराम सतगुरू रे चरणे,
हर पूरबला पावे,
गुरूजी बिना सुता ने कुण जगावे,
असंख जुगो रो भूलो मारो जीवड़ो,
असंख जुगो रो भूलो मारे हंसलो,
फिर फिर गोता खावे,
गुरूजी बिना सुता ने कुण जगावे।।



मनखो जन्म मल्यो मुश्किल से,

अरे फेर हाथ नही आवे,
आयोड़ो अवसर भूल मती मूर्खा,
आयोड़ो अवसर भूल मती मूर्खा,
ऐ फेर चौरासी मे जावे,
गुरूजी बिना सुतो ने कुण जगावे,
असंख जुगो रो भूलो मारो जीवड़ो,
असंख जुगो रो भूलो मारे हंसलो,
फिर फिर गोता खावे,
गुरूजी बिना सुता ने कुण जगावे।।

गायक – सुरेश लोहार।
प्रेषक – पुखराज पटेल बांटा
9784417723


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