गुरू मारा परस पवन वस किना सायर वारी लेरा करे

गुरू मारा परस पवन वस किना सायर वारी लेरा करे
प्रकाश माली भजनराजस्थानी भजन

गुरू मारा परस पवन वस किना,
सायर वारी लेरा करे,
हंसलो री दुर्गम हंसला जाणे,
हंस हिरा रा मोल करे होजी,
गुरू मारा पारस पवन वस किना।।



गुरू मारा परस पत्थर ने पूजे,

पारस संग ले पत्थर फिरे,
पत्थर फिरे जाने प्रेमजल पावे,
पारस पेली पार करे होजी,
गुरू मारा पारस पवन वस किना।।



गुरू मारा परस बैल ने हाके,

सद शब्दो वाली हाक करे,
प्रेम री डोरी ने प्रेम रीअगाडी,
हलकारे यू शाम ढरे होजी,
गुरू मारा पारस पवन वस किना।।



गुरू मारा परस हेत वारा हिरा,

हंस मिला गुरू हेत करे,
हंसा रे जोडे बैठे कागला,
कागा ने गुरू हंस करे होजी,
गुरू मारा पारस पवन वस किना।।



बादली जियू बरसे बिजली जियू कडके,

जरजर झरना नीर बहे,
नीर बहे वटे निपजल लागा,
प्रिया प्रिया रा बंधन खिले हो जी,
गुरू मारा पारस पवन वस किना।।



निर्गुण नाथ भोलानाथजी,

ने जौणाल दुर्बल ऊपर दया करे,
भवानी नाथ यू जस गावे,
आप गुरू साने याद करे हो जी,
गुरू मारा पारस पवन वस किना।।



गुरू मारा परस पवन वस किना,

सायर वारी लेरा करे,
हंसलो री दुर्गम हंसला जाणे,
हंस हिरा रा मोल करे होजी,
गुरू मारा पारस पवन वस किना।।

गायक – प्रकाश माली जी।
प्रेषक – श्रवण कुमार प्रजापत
9998735816


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