गुरा सा शरण आपके आया,
दिलकी दुवदिया रही ना काई,
दर्द मिटिया सुख पाया,
गुरां सा शरण आपके आया।।
ग्यान भाण घट अन्दर ऊगा,
अखे जोत लीव लाया,
जीन कारण जग फिरे उदासी,
सो घट भीतर पाया,
गुरां सा शरण आपके आया।।
काम क्रोध का दाग नहीं लागे,
मोह व्यापे नहीं माया,
करम कलेश लेश नहीं उनके,
सोहम शहर बसाया,
गुरां सा शरण आपके आया।।
आद अन्त का भये नहीं मेरे,
चित चेतन में लाया,
कर सिवरण घट परचे पाया,
फेर धरू नहीं काया,
गुरां सा शरण आपके आया।।
पंछी का खोज मीन का मार्ग,
सतगुरु मोही लखाया,
रोहिल रतन अमोलक लादा,
भाग बङा जीन पाया,
गुरां सा शरण आपके आया।।
गुरा सा शरण आपके आया,
दिलकी दुवदिया रही ना काई,
दर्द मिटिया सुख पाया,
गुरां सा शरण आपके आया।।
प्रेषक – मनोहरराम डाबी रेण
967381984
 
			








 
 
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