प्रकाश माली भजनराजस्थानी भजन

ओ गोरे धोरा री धरती रो पिचरंग पाडा री धरती रो लिरिक्स

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ओ गोरे धोरा री धरती रो,
पिचरंग पाडा री धरती रो,
पितल पाथल री धरती रो,
मीरा कर्मा री धरती रो,
कितरो कितरो रे कराँ मैं बखाण,
कण कण सूँ गूंजे,
जय जय राजस्थान।

घर गूंज्या भाई धर्मजला,
घर गूंज्या भाई धर्मजला,
धर्मजला भाई धर्मजला हो हो।।



कोटा बूँदी भलो भरतपूर,

अलवर और अजमेर,
पुष्कर तीरथ बङो के जिणरी,
महिमा चारो मेर,
दे अजमेर शरीफ औलिया,- २
नित सत रो परमाण,
कितरो कितरो कराँ रे मैं बखाण,
कण कण सूँ गूंजे,
जय जय राजस्थान।

घर गूंज्या भाई धर्मजला,
घर गूंज्या भाई धर्मजला,
धर्मजला भाई धर्मजला हो हो।।



दशो दिशा वा में गूंजे रे,

वीरा रो गुणगाण,
हल्दीघाटी अर प्रताप रे,
तप पर जग कुर्बान,
चेतक अर चितौङ पर सारे,- २
जग ने है अभिमान,
कितरो कितरो कराँ रे मैं बखाण,
कण कण सूँ गूंजे,
जय जय राजस्थान।

घर गूंज्या भाई धर्मजला,
घर गूंज्या भाई धर्मजला,
धर्मजला भाई धर्मजला हो हो।।



उदियापुर में एकलिंगजी,

गणपती रणथम्भोर,
जयपुर में आमेर भवानी,
जोधाणे मंडोर,
बिकाणे मे करणी माता,- २
राठौङा री शान,
कितरो कितरो कराँ रे मैं बखाण,
कण कण सूँ गूंजे,
जय जय राजस्थान।

घर गूंज्या भाई धर्मजला,
घर गूंज्या भाई धर्मजला,
धर्मजला भाई धर्मजला हो हो।।



आबू छतर तो सीमा रो,

रक्षक जैसलमेर,
इण रे गढ़ रा परपोटा है,
बाँका घेर घुमेर,
घर घर गूंजे मेडतणी,- २
मीरा रा मीठा गान,
कितरो कितरो कराँ रे मैं बखाण,
कण कण सूँ गूंजे,
जय जय राजस्थान।

घर गूंज्या भाई धर्मजला,
घर गूंज्या भाई धर्मजला,
धर्मजला भाई धर्मजला हो हो।।



राणी सती री शेखावटी,

जंगल मंगल करणी,
खाटू वाले श्याम धणी री,
महिमा जाए न बरणी,
करणी बरणी रोज चलावे,- २
वायड री संतान,
कितरो कितरो कराँ रे मैं बखाण,
कण कण सूँ गूंजे,
जय जय राजस्थान।

घर गूंज्या भाई धर्मजला,
घर गूंज्या भाई धर्मजला,
धर्मजला भाई धर्मजला हो हो।।



गोगा पाबू तेजो दांडू,

झाम्भोजी री वाणी,
रामदेव के पर्चा री,
लीला किणसूं अणजाणी,
जेमल पत्ता भामाशारी,- २
आ धरती है खाण,
कितरो कितरो कराँ रे मैं बखाण,
कण कण सूँ गूंजे,
जय जय राजस्थान।

घर गूंज्या भाई धर्मजला,
घर गूंज्या भाई धर्मजला,
धर्मजला भाई धर्मजला हो हो।।



वीर पदमणि हाडी राणी,

जेङी सतियाँ जाई,
जोधा दुर्गा दाससा जन्म्या,
जन्मी पन्ना धाई,
जोहर और झुंझार सूं होवे,- २
इणरी खरी पिछाण,
कितरो कितरो कराँ रे मैं बखाण,
कण कण सूँ गूंजे,
जय जय राजस्थान।

घर गूंज्या भाई धर्मजला,
घर गूंज्या भाई धर्मजला,
धर्मजला भाई धर्मजला हो हो।।



ओ गोरे धोरा री धरती रो,

पिचरंग पाडा री धरती रो,
पितल पाथल री धरती रो,
मीरा कर्मा री धरती रो,
कितरो कितरो रे कराँ मैं बखाण,
कण कण सूँ गूंजे,
जय जय राजस्थान।

घर गूंज्या भाई धर्मजला,
घर गूंज्या भाई धर्मजला,
धर्मजला भाई धर्मजला हो हो।।

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Shekhar Mourya

Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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