गिरिराज धरण,
गिरिराज धरण,
करते हो भक्तों के,
तुम कष्ट हरण।bd।
तर्ज – मेहबूब मेरे मेहबूब मेरे।
श्रद्धा और भक्ति से जो,
परिक्रमा लगावे,
तेरी किरपा से प्राणी,
मनोवांछित फल पावे,
हो उसका सफल,
ये जीवन मरण,
गिरिराजधरण,
गिरिराजधरण,
करते हो भक्तों के,
तुम कष्ट हरण।bd।
भक्तों तुम प्यारे हो,
गोवर्धन धारी,
दीनों के हो नाथ प्रभु,
तुम संतन हितकारी,
सारा जगत पूजे,
प्रभु तेरे चरण,
गिरिराजधरण,
गिरिराजधरण,
करते हो भक्तों के,
तुम कष्ट हरण।bd।
तुम सा देव दयालु कोई,
जग में ना दूजा,
श्री कृष्ण ने सबसे पहले,
स्वयं तुमको पूजा,
करते कृपा सब पर,
तुम नील वरण,
गिरिराजधरण,
गिरिराजधरण,
करते हो भक्तों के,
तुम कष्ट हरण।bd।
निशदिन ‘चित्र-विचित्र’ प्रभु,
गुण तेरे गाए,
छोड़ जगत की आस तेरे,
पागल कहलाए,
बिन भक्ति ना हरि मिले,
कहे राधिका शरण,
गिरिराजधरण,
गिरिराजधरण,
करते हो भक्तों के,
तुम कष्ट हरण।bd।
गिरि राज धरण,
गिरि राज धरण,
करते हो भक्तों के,
तुम कष्ट हरण।bd।
Singer – Shri Chitra Vichitra Ji Maharaj