फुर्सत हो म्हारा सेठ सांवरिया,
घर निर्धन के आजा रे,
मारे बणरी छाच राबड़ी,
जिको भोग लगाजा रे।।
अरे खाबा को मारे तेल नही है,
कीकर जोत जगाउ मैं,
मैं बेठू धरती पर साँवरा,
कीकर सेज सजाऊ मैं,
किरपा करदो सेठ साँवरा,
सोया भाग जगाजा रे,
फुर्सत हो मारा सेठ साँवरिया,
घर निर्धन के आजा रे।।
गणा गणा भगता ने तारया,
कीका नाम बताऊ मैं,
मारी वेल्या मे कीकर रुस्या,
कीकर थाने मनाऊ मैं,
अर्जी सुणजो सेठ साँवरा,
दर्शन तो दिखलाजा रे,
फुर्सत हो मारा सेठ साँवरिया,
घर निर्धन के आजा रे।।
थाके बणीया मेल मालिया,
टूटी झोपड़ी मारी रे,
गणि गरीबी देखी साँवरा,
दुखड़ा अब तो मिटाजा रे,
चरणा रो मने दास बणा कर,
जिंदगी सफल बनाजा रे,
फुर्सत हो मारा सेठ साँवरिया,
घर निर्धन के आजा रे।।
नोटा का भंडार भरिया है,
जगत सेठ जी बाजो थे,
मारी जिंदगी कटरी दुख मे,
क्यू काया ने बालो थे,
एक नजर किरपा की करदो,
किस्मत मारी चमकाजा रे,
फुर्सत हो मारा सेठ साँवरिया,
घर निर्धन के आजा रे।।
फुर्सत हो म्हारा सेठ सांवरिया,
घर निर्धन के आजा रे,
मारे बणरी छाच राबड़ी,
जिको भोग लगाजा रे।।
गायक – बबलु जी राजस्थानी।
प्रेषक – शम्भू कुमावत दौलतपुरा।
9981101560