धिन धिन धाम अमरपुरोजी लिखमोजी अलख जगाई

धिन धिन धाम अमरपुरोजी लिखमोजी अलख जगाई
राजस्थानी भजन

धिन धिन धाम अमरपुरोजी,

दोहा – धिन धोरां धिन नागाणा,
धिन संता रो देश,
धिन लिखमोजी धाम बनायो,
अमरपुरो ऋषिकेश।



धिन धिन धाम अमरपुरोजी,

लिखमोजी अलख जगाई रे संतो,
गुरू शरण रे माई ए हा,
सेजे सुमिरन माला फेरी,
सेजे सुमिरन माला फेरी,
हरि रा गुण गाई रे संतो,
गुरू शरण रे माई ए हा।।



रामूजी माली सोलंकी रहता,

रामूजी माली सोलंकी रहता,
बडकी चेनार माई गाया,
राख बाड लगाई ए हा,
सिद्ध संत नागाणा आवता,
सिद्ध संत नागाणा आवता,
भाव रोज कराई रामूजी,
सतसंग करता सवाई ए हा।।



१८०७ आषाढ सुद पूनम,

१८०७ आषाढ़ सुद पूनम,
रामूजी रे घर माई रे वटे,
हरख हरख बधाई ए हा,
ब्रम्ह मुहर्त मे बाल जन्मीयो,
ब्रम्ह मुहर्त मे बाल जन्मीयो,
लिखमोजी नाम धराई खेती,
करता वे मन चाही ए हा।।



अरे बछडा ने बेल गाया चराता,

बछडा ने बेल गाया चराता,
गाँव पूरो मे आयी रे संग मे,
हिन्दू मुस्लिम भाई ए हा,
खिमजी ने वे गुरू बनाया,
खिमजी ने वे गुरू बनाया,
ग्रहस्ती साधु बन जाई कोई,
भेद भाव ने मिटाई ए हा।।



अरे पानत छोड़ जागन मे जावता,

पानत छोड़ जागन मे जावता,
हरि करता सिंचाई,
लिखमोजी रो रूप बनाई ए हा,
गाँव पूरो ने अमरपुरो बनायो,
गाँव पूरो ने अमरपुरो बनायो,
दर्श हरि रा पाई रे परचा,
चार वर्ण ने दिरायी ए हा।।



१८८७ आसोज बद छठ,

१८८७ आसोज बद छठ,
निवन पंथ बताई रे पूजा,
गेनदास ने बताई ए हा,
माली छंवर कहे सतगुरु सामरथ,
माली छंवर कहे सतगुरु सामरथ,
परदे परचा दिराई धाम,
अमरपूरा मे जाई ए हा।।



धिन धिन धाम अमरपुराजी,

लिखमोजी अलख जगाई रे संतो,
गुरू शरण रे माई ए हा,
सेजे सुमिरन माला फेरी,
सेजे सुमिरन माला फेरी,
हरि रा गुण गाई रे संतो,
गुरू शरण रे माई ए हा।।

प्रेषक – मनीष सीरवी।
(रायपुर जिला पाली राजस्थान)
9640557818


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