दरबार सजया माँ तेरा,
तू कदसी आवैगी मैया,
तेरे भगतां न री आकै,
कद दर्श दिखावैगी मैया।।
तर्ज – मुझे प्रेम नगर जाना है।
ज्योत जगे दरबारां म,
तेरा कर दिया आसन तैयार मां,
राहों में तेरे फूल बिछे,
बस तेरे आणे का इंतजार मां,
तेरा भोग मंगाया मां सारा,
कद भोग लगावैगी मैया,
दरबार सजा मां तेरा,
तू कदसी आवैगी मैया।।
दर्शन की मां प्यास लगी,
चाहूं सु दर्शन पाणा,
तेरी याद म हे मैया,
मेरा छुट गया पीना खाना,
मनै हो रही पल पल भारी,
कितना तरसावैगी मैया,
दरबार सजा मां तेरा,
तू कदसी आवैगी मैया।।
जे ना आई मेरी मैया,
यूं हँसी करै संसार री,
मां बेटे का नाता कैसा,
क्या मां को बेटे से प्यार नहीं,
मतलब की इस दुनियां न,
कद आके समझावैगी मैया,
दरबार सजा मां तेरा,
तू कदसी आवैगी मैया।।
गुरु राजेन्द्र शर्मा भी मां,
यू रम गया तेरे नाम म,
तेरा बैठया स एक सेवक री,
यू बाबा लदाना गाम म,
तेरे सुनील कुमार की आकै,
कद धीर बंधावैगी मैया,
दरबार सजा मां तेरा,
तू कदसी आवैगी मैया।।
दरबार सजया माँ तेरा,
तू कदसी आवैगी मैया,
तेरे भगतां न री आकै,
कद दर्श दिखावैगी मैया।।
गायक & लेखक – सुनील कुमार लदानियां।
Mob. – 99961-23336








