चलते चलते गिर ना जाना,
जीवन पथ अंजाना है,
इक बार जो पांव फिसला तेरा,
फिर पीछे पछताना है।।
तर्ज – पत्ता पत्ता बूटा बूटा।
आया है तू दुनिया में,
तुझको सदा ये भान रहे,
कोई तो है अपना स्वामी,
सत्य शब्द का ज्ञान रहे,
कण कण में व्यापक सदा ही,
तौफिके नूरे खुदाई,
बाकी सब अफसाना है,
चलते चलते गिर न जाना,
जीवन पथ अंजाना है।।
फंसकर जगत व्याधियों में,
कैसे उसे तू पाएगा,
मन में जगा भाव भगती,
जीवन सफल हो जाएगा,
चारो तरफ बस प्यार हो,
ये जीवन का आधार हो,
तेरा तुझे मिल जाना है,
चलते चलते गिर न जाना,
जीवन पथ अंजाना है।।
संतो का सत्संग करो,
भाव सुमन मन में लिए,
गाती रहे रसना सदा,
गुणगान तू जब तक जिए,
मानव का है धर्म यही,
इसके सिवा कुछ और नही,
ईश्वर सर्व भूताना है,
चलते चलते गिर न जाना,
जीवन पथ अंजाना है।।
माता पिता गुरू भाई,
आए का आदर करो,
निंदा बुराईयों का,
मत अपने सर भार धरो,
कहते है ब्रह्मशाह ये,
खुद को तू ऐसा बनाए,
बस इतना समझाना है,
चलते चलते गिर न जाना,
जीवन पथ अंजाना है।।
चलते चलते गिर ना जाना,
जीवन पथ अंजाना है,
इक बार जो पांव फिसला तेरा,
फिर पीछे पछताना है।।
लेखक – संत श्रीब्रह्मशाह अतीत जी महाराज।
गायक – ललित कुमार।