माटी के पुतले रे तेरा अपना यहाँ नहीं कोय भजन लिरिक्स
माटी के पुतले रे, तेरा अपना यहाँ नहीं कोय, तेरा अपना यहाँ नहीं कोय, सतगुरु ने कितना समझाया, अब काहे...
Read moreDetailsमाटी के पुतले रे, तेरा अपना यहाँ नहीं कोय, तेरा अपना यहाँ नहीं कोय, सतगुरु ने कितना समझाया, अब काहे...
Read moreDetailsहर पल आठो याम, हरि नाम भजो, हरदम सुबहो शाम, हरि नाम भजो, हर पल आठों याम, हरि नाम भजो।।...
Read moreDetailsहरि भजने पे तन ये पाओगे, बचना चाहे तो बचले रे प्राणी, वर्ना चौरासी में तो जाओगे, हरि भजने पे...
Read moreDetailsखो दिया हीरा रे, प्राणी तूने बैकार मे, खो दिया हीरा रे।। तर्ज - झुमका गिरा रे। भेजा था गुरू...
Read moreDetailsअरे प्राणिऐ तूने, कहना गुरू का न माना, पड़े पछिताना तुझे पड़े पछिताना, अरे प्राणिऐ तुने, कहना गुरू का न...
Read moreDetailsतू ले ले रे जो भी लेना है, दुनिया का खुला बाजार है ये, हर चीज मिलेगी तुझको यहाँ, दो...
Read moreDetailsतुझे गुरू कितना समझाए, पर तेरी समझ न आए, गुरू बार बार समझाऐ, तेरी दो दिन की यह जिँदगी, बातो...
Read moreDetailsसाधन पे कभी न, तू मन किया गौर, गुरू बिन नही पाएगा मनवा, तू जग में ठौर।। तर्ज - सावन...
Read moreDetailsमाटी को खिलौनों है, मन में जचाए ले, कद उड़ जा सी हंसो, हरी गुण गाइले।। तर्ज - छुप गया...
Read moreDetailsगिरते हुए को श्याम धणी क्या, अपने गले लगाओगे, कोई नहीं जो मुझे थाम ले, क्या तुम हाथ बढ़ाओगे, गिरते...
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