ब्रज में रतन राधिका गोरी,
राधिका गोरी राधिका गोरी,
ओ बृज में रतन राधिका गोरी।।
हर लिनी वृषभानु भवन ते,
नन्द सुवन की जोरी,
ओ बृज में रतन राधिका गोरी।।
कुंज निकुंजन विहरत दोऊ,
अरे यमुना तट बन खोरी,
ओ बृज में रतन राधिका गोरी।।
पिय भूज कंद दिए शोभित मन,
घन दामिनी द्युति जोरी,
ओ बृज में रतन राधिका गोरी।।
कृष्णदास प्रभु गिरधर नागर,
नागरी नवल किशोरी,
ओ बृज में रतन राधिका गोरी।।
ब्रज में रतन राधिका गोरी,
राधिका गोरी राधिका गोरी,
ओ बृज में रतन राधिका गोरी।।
स्वर – श्री इंद्रेश जी उपाध्याय।
प्रेषक – ऋषि विजयवर्गीय।
700007309