बजरंग चाल पड़े लंका में,
बली ने धारया रुप विशाल,
धारया रूप विशाल बजरंग ने,
धारया रूप विशाल।।
सुरसा परखण आई बली को,
देव लोक से चाल,
भोजन भेजा है प्रभू ने,
खाऊं तूझे ततकाल,
बजरंग चाल पडे लंका में,
बली ने धारया रुप विशाल।।
हाथ जोड़ यूं बोले बजरंग,
माता सुणो ऐ सवाल,
लंका जाऊ सियासुध्द ल्याऊं,
मुझे भेजा दीनदयाल,
बजरंग चाल पडे लंका में,
बली ने धारया रुप विशाल।।
राम काज कर वापिस आऊं,
सुनाऊं प्रभू ने हाल,
आय तेरी बली बण जाऊं,
का लेना बण काल,
बजरंग चाल पडे लंका में,
बली ने धारया रुप विशाल।।
कपि की बाणी एक ना मानी,
देवी धारया रुप विकराल,
सोयोजन तक मुख फैलाया,
दुगूना अंजनी के लाल,
बजरंग चाल पडे लंका में,
बली ने धारया रुप विशाल।।
खुश होकर यूं बोली सूरसा,
यूं बलबुध्दि भोपाल,
जावो जावो तुझै कोई ना रोके,
देवोगे लंका बाल,
बजरंग चाल पडे लंका में,
बली ने धारया रुप विशाल।।
पवन पूजारी गुणों के सागर,
कृपा करो कृपाल,
बलवन्त राम भजन यूं गावे,
बाजे बिड़दंग ताल,
बजरंग चाल पडे लंका में,
बली ने धारया रुप विशाल।।
बजरंग चाल पड़े लंका में,
बली ने धारया रुप विशाल,
धारया रूप विशाल बजरंग ने,
धारया रूप विशाल।।
गायक – समुन्द्र सिंह लौट चेलासरी।
मो. – 8107115329
लेखक – बलवन्त सिह लौट चेलासरी।
मो. – 9950958118