बैठा गुरूजी बैठा,
समराथल धोरे आय,
मुक्ति रो मार्ग बतावियो।।
आया गुरू जी आया,
वचना रा प्रतिपाळ,
भक्तां रा कोल निभाविया।।
मांडी गुरूजी मांडी,
मुक्ति वाली हाट,
जीवण री जुगत सिखाविया।।
केवे गुरू जी केवे,
थे पाळो नेम गुणतीस,
मुख बोलो इमरत बाणीयां।।
टाळे गुरूजी टाळे,
काळ जाळ जम चोट,
दारिद्र दूर भगाविया।।
छोड़ो भाईड़ां छोड़ो,
थे अमल तमाखू भाँग,
दारूड़ी अळगी राखियो।।
बैठा गुरूजी बैठा,
समराथल धोरे आय,
मुक्ति रो मार्ग बतावियो।।
लेखक / गायक – डॉ. स्वामी सच्चिदानंद जी आचार्य।
प्रेषक – विष्णु लटियाल।
9928412891