आव आव म्हारा कृष्ण मुरारी भगत बुलावे रे

आव आव म्हारा कृष्ण मुरारी भगत बुलावे रे
राजस्थानी भजन

आव आव म्हारा कृष्ण मुरारी,

दोहा – वृंदावन सो वन नही,
नंद गाँव सो गाँव,
राधे सी रानी नही,
कृष्ण नाम सो श्याम।

आव आव म्हारा कृष्ण मुरारी,
भगत बुलावे रे,
सांवरा वेगो आव।।



अरे पेलो अनरत है दुनिया में,

गौ माता दुख पावे,
अरे बुढी हुआ पचे सारनी पुचे,
नरका लिजावे रे,
सांवरा वेगो आव,
आव आव मारा कृष्ण मुरारी,
भगत बुलावे रे,
सांवरा वेगो आव।।



अरे दुजो अनरत है दुनिया में,

कन्या बेच धन खावे रे,
कन्या तनो पैसो लोवो तो,
नरका मे जावे रे,
सांवरा वेगो आव,
आव आव मारा कृष्ण मुरारी,
भगत बुलावे रे,
सांवरा वेगो आव।।



अरे तीजो अनरत है दुनिया में,

बुढा ने परनावे रे,
अरे बुढा रे सिर पे बांधे सेवरा,
लोग हसावे रे,
सांवरा वेगो आव,
आव आव मारा कृष्ण मुरारी,
भगत बुलावे रे,
सांवरा वेगो आव।।



अरे रघुवंश आवे यदुवंशी आवे,

सभी सखियन को लावे रे,
अरे दास जाने ने दर्शन दिजो,
जस मीरा बाई गावे रे,
सांवरा वेगो आव,
आव आव मारा कृष्ण मुरारी,
भगत बुलावे रे,
सांवरा वेगो आव।।



आव आव म्हारा कृष्ण मुरारी,

भगत बुलावे रे,
सांवरा वेगो आव।।

प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818


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