आधी रात में,
खनक गयो बैरी कंगना।
दोहा – इन प्यासे पपीहे से लोचन को,
निज दर्शन स्वाति पिला जा जरा,
यह माया मारीच का दूर हटा,
दृग-प्रेम का पाठ पढ़ा जा जरा।
नव नीरद भेष लिए मुरली,
इन नैनों के बीच समा जा जरा,
अरे निष्ठुर मोहन आजा जरा,
वह रूप अनूप दिखा जा जरा।
अजहू ना आए,
हमारे मोहना,
आधी रात मे,
खनक गयो बैरी कंगना।।
रात बिताऊँ,
गिनगिन तारे,
ऐसे निठुर भए,
श्याम हमारे,
संग की सहेली,
संग की सहेली,
कोई भी संग ना,
आधी रात मे,
खनक गयो बैरी कंगना।।
श्याम विरह में,
तड़पी जाऊं,
बिजली चमके,
डर डर जाऊं,
श्याम बिना मेरो,
श्याम बिना मेरो,
सूनो अंगना,
आधी रात मे,
खनक गयो बैरी कंगना।।
जब से गए मोरी,
सुधहू ना लीनी,
ना जाने,
सौतन कर लीनी,
वर्षों गुजरे,
वर्षों गुजरे,
अब आ जाओ ना,
आधी रात मे,
खनक गयो बैरी कंगना।।
अजहू ना आए,
हमारे मोहना,
आधी रात मे,
खनक गयो बैरी कंगना।।
Singer – Dhanvantri Das Ji Maharaj