आ गयो आ गयो सावन महिनों,
आ गयो भोलेनाथ रे,
लहरा लेवें रे भोलानाथ जी,
लहरा लेवें रे भोलानाथ जी,
भोलो प्यारो रे, त्रिशूलधारी रे,
डमरू वालों रे।।
अरे भोलेनाथ ने ध्यावें ज्यारा,
सब दुखडा-मिट जावे रे,
कैलाशा पर्वत पे थारो बैठणो,
भोलो प्यारो रे, त्रिशूलधारी रे,
डमरू वालों रे।।
अरे सावन मे तो कावडिय़ा,
कावड लेवण जावे वो,
जल तो चढावें रे, भोलानाथ ने,
भोलो प्यारो रे, त्रिशूलधारी रे,
डमरू वालों रे।।
अरे लिखें-लिखे,रणजीत महिमा,
थाकी भोलेनाथ जी,
गावे जाटोलिया, महिमा आपकी,
भोलो प्यारो रे, त्रिशूलधारी रे,
डमरू वालों रे।।
आ गयो आ गयो सावन महिनों,
आ गयो भोलेनाथ रे,
लहरा लेवें रे भोलानाथ जी,
लहरा लेवें रे भोलानाथ जी,
भोलो प्यारो रे, त्रिशूलधारी रे,
डमरू वालों रे।।
– भजन प्रेषक –
रणजीत अजमेरी।
संपर्क – ९५७११-९५७१५
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