गजब कृपालु हो भूत भावन,
तुम्हारी जय हो तुम्हारी जय हो,
बनाई है सृष्टि कितनी पावन,
तुम्हारी जय हो तुम्हारी जय हो।।
तर्ज – है जिंदगी कितनी खूबसूरत।
है इस जगत में तुम्हारी पूजा,
कहाँ है तुमसा दयालु दूजा,
हो सृष्टि के तुम जगत नियंता,
तुम्हीं त्र्यंबकं तुम्हीं त्रिलोचन,
गज़ब कृपालू हो भूत भावन,
तुम्हारी जय हो तुम्हारी जय हो।।
तुम्ही विराजे हो देवघर में,
तुम्हारे डमरू पे नाचे काशी,
रमे हो उज्जैन में भी तुम ही,
है भक्त कहते अलख निरंजन,
गज़ब कृपालू हो भूत भावन,
तुम्हारी जय हो तुम्हारी जय हो।।
हे अमृतेश्वर हे काल भैरव,
हे तारकेश्वर हे नंदिकेश्वर,
बसे हो कण कण में तुम जटाधर,
‘अनुज सत्येंद्र’ को दे दो दर्शन,
गज़ब कृपालू हो भूत भावन,
तुम्हारी जय हो तुम्हारी जय हो।।
गजब कृपालु हो भूत भावन,
तुम्हारी जय हो तुम्हारी जय हो,
बनाई है सृष्टि कितनी पावन,
तुम्हारी जय हो तुम्हारी जय हो।।
गायक – सत्येंद्र पाठक।
प्रेषक – सुमित सिंह।
९०८२१०१८५४








