सईया मारी जाईजे जाईजे,
समराथल रे धाम,
गुरु जी रे धोक लगावणी।।
सईया मारी गाईजे गाईजे,
आरतीया गुण गान,
गुरु जी रे मनडे भावसी।।
सईया मारी जाईजे जाईजे,
जांभोलाव तालाब,
नावण कर धोक लाव जें।।
गुरु जी मेटे मेटे,
दुखिया रो संताप,
थारा भी दुखड़ा मेटसी।।
सईया मारी रखणों रखणों,
अपणें धर्म रो माण,
विष्णु जी री महिमा गावजें।।
गुरु देसी देसी चरणा में स्थान,
कोई चरणा में स्थान,
मुक्ति रो मारग बताव सी।।
सैया मारी जाईजे जाईजे,
समराथल रे धाम,
गुरु जी रे धोक लगावणी।।
स्वर – ममता बिश्नोई।
प्रेषक – सुभाष सारस्वा काकड़ा।
9024909170








