महाराज गजानन्द जी,
पधारो म्हारे कीर्तन में,
कीर्तन में ओ देवा कीर्तन में,
महाराज गजानंद जी,
पधारो म्हारे कीर्तन में।।
तर्ज – नखराळो देवरियो।
सब देवो में सबसे पहले,
होवे पूजा थारी,
सबके पूर्ण काम बनाते,
विघ्न मिटाते भारी,
संग रिद्ध सिद्ध ल्याओ जी,
पधारो म्हारे कीर्तन में,
महाराज गजानंद जी,
पधारो म्हारे कीर्तन में।।
भोग लगावा चॅवर ढुलावा,
सेवा करा में थारी,
देवो के सिरमौर विनायक,
बाट उडिका थारी,
संग सुमति ल्याओ जी,
पधारो म्हारे कीर्तन में,
महाराज गजानंद जी,
पधारो म्हारे कीर्तन में।।
शंकर सुवन गोरा जी के लाला,
भक्त थारा गुण गावे,
ज्ञान भक्ति ज्योत जलाने,
कीर्तन में है बुलावे,
विष्णु पर मैहर करो,
पधारो म्हारे कीर्तन में,
महाराज गजानंद जी,
पधारो म्हारे कीर्तन में।।
महाराज गजानन्द जी,
पधारो म्हारे कीर्तन में,
कीर्तन में ओ देवा कीर्तन में,
महाराज गजानंद जी,
पधारो म्हारे कीर्तन में।।
स्वर – आकाश भानु।
लेखक – विष्णु शर्मा राजगढ़िया।
9382 890184








