अमरकंठ से मैया,
बनके धारा चली,
भोलेनाथ की लली,
जगत को तारने चली।bd।
अमरकंट से चली भवानी,
धोलागढ़ में आई,
घाट घाट से पूजती मैया,
खलघाट में आई,
खलघाट से मैया,
गुजरात चली,
भोलेनाथ की लली,
जगत को तारने चली।bd।
अमरकंट से चली भवानी,
आगे गुप्त हुई है,
कहीं पे नन्हा रूप है माँ का,
कहीं विकराल भई है,
कल कल करती माँ की,
निर्मल धारा चली,
भोलेनाथ की लली,
जगत को तारने चली।bd।
घाट घाट पर माँ के मंदिर,
और बने है शिवाले,
भक्ति भाव से पूजा करके,
निशदिन ध्यान लगा ले,
भक्तों के पाप मैया,
हर के चली,
भोलेनाथ की लली,
जगत को तारने चली।bd।
अमरकंठ से मैया,
बनके धारा चली,
भोलेनाथ की लली,
जगत को तारने चली।bd।
गायक – दीपक शर्मा।
प्रेषक – जगदीश पाटीदार।
7580891097








