ना पूजन किया है,
ना तपस्या ही की है,
भरोसे तेरे,
चल रही जिंदगी है।।
मेरी आय है,
तेरे नामो की चर्चा,
तेरा नाम ही,
नित्य करता हूँ खर्चा,
नशा है कथा अमृत,
पिलाना और पी है,
भरोसे तेरे,
चल रही जिंदगी है।।
कथा मुक्ति सागर है,
यही साधना है,
तेरा नाम लेना ही,
आराधना है,
यही मेरी पूजा,
यही बंदगी है,
भरोसे तेरे,
चल रही जिंदगी है।।
जो है पास में तुझको,
अर्पित किया है,
ये जीवन ही ‘राही’ ने,
समर्पित किया है,
सभी कुछ है आगे,
जो नेकी बदी है,
भरोसे तेरे,
चल रही जिंदगी है।।
ना पूजन किया है,
ना तपस्या ही की है,
भरोसे तेरे,
चल रही जिंदगी है।।
स्वर – राजन जी महाराज।
लेखक – राही जी।
प्रेषक – ओमप्रकाश पांचाल उज्जैन मध्य प्रदेश।
9926652202








