फिरै खेलती मरघट म काली,
हाथ म ठाई तेज कटारी,
मारे किलकारी भूत,
मारे किलकारी।।
तर्ज – आ मेरी रानी लेजा छल्ला।
मरघट के म्ह भूत प्रेत की,
तनै बणा दी रेल रहे स,
तेरी मार न झेल,
री देख्या अजब निराला खेल,
मुर्दे की लेकै चली सवारी,
हाथ म ठाई तेज कटारी,
मारै किलकारी भूत,
मारै किलकारी।।
खुद शंकर भी हारे थे,
तेरे क्रोध के आगै,
चली भोले प पाँव धरकै,
भूत भाजै थे डर डर कै,
सब देवों में महिमा स न्यारी,
हाथ म ठाई तेज कटारी,
मारै किलकारी भूत,
मारै किलकारी।।
शमशाना न छोड़ क आजा,
सजया तेरा दरबार,
बता क्यूं आणे म इब वार,
देख रया बाट तेरी परिवार,
तेरे भोग की मां करदी स तैयारी,
हाथ म ठाई तेज कटारी,
मारै किलकारी भूत,
मारै किलकारी।।
कदे मरघट कदे चौराहाँ,
कदे श्मशाना म वास बणया,
गुरु राजेन्द्र तेरा दास,
सुनील कुमार न करदे पास,
गाम लदाणा मां शरण तुम्हारी,
हाथ म ठाई तेज कटारी,
मारै किलकारी भूत,
मारै किलकारी।।
फिरै खेलती मरघट म काली,
हाथ म ठाई तेज कटारी,
मारे किलकारी भूत,
मारे किलकारी।।
गायक & लेखक – सुनील कुमार लदानियां।
99961-23336








