बाबा ये जग है पराया,
सब तेरी माया,
तू मोल छवि कृष्ण की,
अनमोल छवि कृष्ण की,
बाबा ये दर तेरा पाया,
तू दिल में समाया,
तूँ मोल छवि कृष्ण की।।
तर्ज – बाबुल जो तुमने सिखाया।
कैसे भूल पाऊँगा में बाबा,
इस जग की खुमारियाँ,
मेरे अपनों ने ही रुलाया,
सताया मुझको की खुआरियाँ,
ऐसे में तुम्हें मैंने पाया,
कृपा की मिली छाया,
तूँ मोल छवि कृष्ण की।।
ज़बसे बाबा तूँ मुझे मिला है,
आज दुख भी नहीं कोई,
आज समझ आया कलयुग में,
तुझसे बढ़कर कोई नहीं,
बाबा तूँ मेरे पिता है,
तुझे सब पता है,
तूँ मोल छवि कृष्ण की।।
कैसे भूल गया रे तूँ प्राणी,
मेरे ठाकुर की कहानियाँ,
आज भी चुलकाना में वो पीपल,
देता तुझकों निशानियाँ,
मोहन एक झलक दिखलादे,
हम सब का “यश” बढ़ा दे,
तूँ मोल छवि कृष्ण की।।
बाबा ये जग है पराया,
सब तेरी माया,
तू मोल छवि कृष्ण की,
अनमोल छवि कृष्ण की,
बाबा ये दर तेरा पाया,
तू दिल में समाया,
तूँ मोल छवि कृष्ण की।।
गायक – यश गुप्ता।
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