नख पर धार लियो गिरिराज,
नाम गिरधारी पायो है।।
सुरपति पूजा मेट,
कृष्ण गिरिराज पुजायो है,
सवा लाख मण सामग्री,
को भोग लगायो है,
नख पर धारि लियो गिरिराज,
नाम गिरधारी पायो है।।
पड़ी स्वर्ग में खबर क्रोध,
सुरपति को छायो है,
मूसलधार अपार बहुत,
पानी बरसायो है,
नख पर धारि लियो गिरिराज,
नाम गिरधारी पायो है।।
पड़ी ना ब्रज पर बून्द
इन्द्र देखत घबरायो है,
ब्रजवासी सब कहे,
धरण गिरिराज उठायो है,
नख पर धारि लियो गिरिराज,
नाम गिरधारी पायो है।।
धन धन श्री ब्रज चन्द,
इन्द्र को मान घटायो है,
‘घासीराम’ गोवर्धन वारो,
हरि जस गायो है,
नख पर धारि लियो गिरिराज,
नाम गिरधारी पायो है।।
नख पर धार लियो गिरिराज,
नाम गिरधारी पायो है।।
स्वर – श्री इंद्रेश जी उपाध्याय।








