उड़जा मनका मोरुड़ा तू,
संदेशों लेजा,
भादरवा में याद सतावे,
बाबा न कहिये जा,
सारी दुनिया दर प आवे,
मन म्हारो ललचावे,
बिन दर्शन के थारे बाबा,
दास नहीं रह पावे,
रूनीचे बुला लीजे,
की दर्स दिखा दीजे।।
एडी काई गलती होंगी,
म्हाने नाही बुलाओ,
अपनों बना के पल भर मे,
क्यों करदियो परायों,
सारी सारी राता जागु,
नींद मने ना आवे,
थारे दर प आवन खातिर,
नैना नीर बहावे,
रूनीचे बुला लीजे,
की दर्स दिखा दीजे।।
सावन भादो वालों मैलो,
आख्या आगे घूमे,
कईया भूलू पैदल आतो,
जय बाबा री कहतो,
नाचा गाता डीजे ऊपर,
सगळा मौज मनाता,
जीव घणो सुख पातो बाबा,
चौखट तेरी आके,
रूनीचे बुला लीजे,
की दर्स दिखा दीजे।।
ईक दिन रात न सपने माहि,
बाबो आकर बोले,
बेगो सो तू करले त्यारी,
भेजू मे संदेशों,
जितनी तन आवे हिचकी,
उतनी मन भी आवे,
प्रिंस कहे बिन टाबर के यों,
बाबुल रे ना पाए,
तू बेगो आजा गोपाला,
मिलके करा बाता।।
उड़जा मनका मोरुड़ा तू,
संदेशों लेजा,
भादरवा में याद सतावे,
बाबा न कहिये जा,
सारी दुनिया दर प आवे,
मन म्हारो ललचावे,
बिन दर्शन के थारे बाबा,
दास नहीं रह पावे,
रूनीचे बुला लीजे,
की दर्स दिखा दीजे।।
गायक – गोपाल सोनी रतनगढ़।
9982095020