पाप लाखों के तू,
हर गया बंशी वाले,
तो मेरे पाप से क्यों,
डर गया बंशी वाले।।
डूबने वाला हूँ भवसिन्धु में,
कुछ देर नहीं,
क्योंकि पापों का घड़ा,
भर गया बंशी वाले,
तो मेरे पाप से क्यों,
डर गया बंशी वाले।।
नाम पर तेरे ना हो कैसे,
भरोसा मुझको,
जब अजामिल सा अधम,
तर गया बंशी वाले,
तो मेरे पाप से क्यों,
डर गया बंशी वाले।।
इसलिए भेंट में देता हूँ,
अश्रु ‘बिन्दु’ तुझे,
कद्र इनकी तू भी,
कर गया बंशी वाले,
तो मेरे पाप से क्यों,
डर गया बंशी वाले।।
पाप लाखों के तू,
हर गया बंशी वाले,
तो मेरे पाप से क्यों,
डर गया बंशी वाले।।
Singer – Mukul Dwivedi