सिंगोली रा श्याम धणी जी,
अब तो दरश दिखा जा रे,
दास गरीब की डुबतडी ने,
अब तो पार लगा जा रे।।
धन्य धरा सिंगोली माटी,
श्याम धणी पुजवाया रे,
दुनिया दर्शन पावे ठाकुर,
श्याम धणी की माया रे,
सिंगोली रा श्यामधणी जी,
अब तो दरश दीखा जा रे।।
मोटा मेहला आप विराज्या,
टुटी टपरी मारी रे,
आप जीमो हो छप्पन भोग वो,
बासी खीचडी मारी रे,
सिंगोली रा श्यामधणी जी,
अब तो दरश दीखा जा रे।।
कीने केऊ कीने सुणाऊ,
जो सुणे दुख मारो रे,
गणी गरीबी देखी वो सांवरा,
आकर आप ऊभारो रे,
सिंगोली रा श्यामधणी जी,
अब तो दरश दीखा जा रे।।
मारो सहारो है रखवालों,
श्याम सिंगोली वालो रे,
दास गरीब की सुणले विनती,
काई बिगड़सी थारो रे,
सिंगोली रा श्यामधणी जी,
अब तो दरश दीखा जा रे।।
सिंगोली रा श्याम धणी जी,
अब तो दरश दिखा जा रे,
दास गरीब की डुबतडी ने,
अब तो पार लगा जा रे।।
गायक & लेखक – देव शर्मा आमा।
8290376657