मैं राधा राधा नाम सिमरू,
दोहा – राधा नाम की अलख लगी,
मैं बन गई जोगन आज,
बृज गलियन में डोल रही,
मैं सिमरूँ राधा नाम।
मेरे मन में बस्यो ब्रज धाम,
मैं राधा राधा नाम सिमरू,
श्याम भक्ति का मिला परिणाम,
श्याम भक्ति का मिला परिणाम,
मैं राधा राधा नाम सिमरूँ।।
तर्ज – गली में आज चांद निकला।
दिन मेरा बीते श्याम शरण में,
शाम को हूं मैं श्यामा चरण में,
निधिवन में गुजारूं रात,
निधिवन में गुजारूं रात,
मैं राधा राधा नाम सिमरूँ,
मैं राधा राधा नाम सिमरूँ।।
अंत समय की हो तैयारी,
सामने हो मेरे श्यामा प्यारी,
श्री चरणों में छूटे मेरे प्राण,
श्री जी चरणों में छूटे मेरे प्राण,
मैं राधा राधा नाम सिमरूँ,
मैं राधा राधा नाम सिमरूँ।।
दिल मेरा बोले कान्हा कान्हा,
धड़कन बोले श्यामा श्यामा,
‘रितु’ सांसों में राधा नाम,
‘रितु’ सांसों में राधा नाम,
किशोरी तेरा नाम सिमरूँ,
मैं राधा राधा नाम सिमरूँ।।
मेरे मन में बस्यो ब्रज धाम,
मैं राधा राधा नाम सिमरूँ,
श्याम भक्ति का मिला परिणाम,
श्याम भक्ति का मिला परिणाम,
मैं राधा राधा नाम सिमरूँ।।
भजन प्रवाहिका – सोनाली नागेश्वर।
लेखक – प्रियांश अग्रवाल “रितु”
श्री श्याम मित्र मंडल बालाघाट।
9713885250