भोली मारी आत्मा रे,
काची केहडली रे,
ईश्वर भजियो रा,
फल भाल रे भाई।।
कोईक हाले हस्थी घोड़ा,
कोई ऊंटे असवार,
कोईक हाले पाले पगले,
कनी माथे है भार,
भोळी म्हारी आत्मा रे,
काची केहडली रे,
ईश्वर भजियो रा,
फल भाल रे भाई।।
कोईक जीमें सिरा लापसी,
कोई चावल भात,
कोइक जीमे तोंदला रे,
कोई नरणा काडे रात,
भोळी म्हारी आत्मा रे,
काची केहडली रे,
ईश्वर भजियो रा,
फल भाल रे भाई।।
कोइक पोंडे हिगले ढोलिये,
कोई हिंडोले खाट,
कोईक हुवे हाथरे,
कोई भमता काढ़े रात,
भोळी म्हारी आत्मा रे,
काची केहडली रे,
ईश्वर भजियो रा,
फल भाल रे भाई।।
कनी है रे पांच पुतर,
कनी ऐका एक,
कोइक जुग में वोजिया,
जनौरी मालिक राखे टेक,
भोळी म्हारी आत्मा रे,
काची केहडली रे,
ईश्वर भजियो रा,
फल भाल रे भाई।।
नमो निरंजन नाथ ने,
मारे आत्म रो आधार,
अनदोजी सोनी बोलिया,
हरभज उतरो पार,
भोळी म्हारी आत्मा रे,
काची केहडली रे,
ईश्वर भजियो रा,
फल भाल रे भाई।।
भोली मारी आत्मा रे,
काची केहडली रे,
ईश्वर भजियो रा,
फल भाल रे भाई।।
गायक – जोग भारती जी।
प्रेषक – सुरेंद्र सिंह राजपुरोहित लुदराड़ा।